शिकायत मुझे भी है
आप से,
उन से,
खुद से,
शिकायत मुझे भी है
ये मायूस चेहरे और आलम-ए-रुसवाई
ये खौफनाफ मंज़र और दहशत-ए-तन्हाई
ये बेदिली और अजनबी माहौल,
जज़्बात-ए-इंसा हुए बेमोल,
इस माहौल से शिकायत मुझे भी है
बेबसी का पतझड़ और आंसुओं का सावन,
ये लाचार-बेआस-बेबस निगाहें,
बेआब मछली-सी तड़प और दर्दनाक आहें
इस दर्द की नाइत्तेफ़ाक़ी से,
शिकायत मुझे भी है
हालात हमारे एक से पर चेहरे एक-दूजे के तकते
राह नहीं मालूम, सहारा एक-दूसरे का खोजते
कभी मैं निराश तो कभी वह आस छोड़ता
इस आशा निराशा के खेल से
शिकायत मुझे भी है
ये नौजवानों की भटकन, ये मासूमों की धड़कन
ये बर्बाद जवानी, ये बेसहारा बुढ़ापा
वो उम्मीद की किरण, ये झूठे वादों का जाल
इस जालसाज़ी, फरेब से,
धर्म के आक़ाओं से,
देश के रहनुमाओं से,
शिकायत मुझे भी है
आप से,
उन से,
खुद से
आप से,
उन से,
खुद से,
शिकायत मुझे भी है
ये मायूस चेहरे और आलम-ए-रुसवाई
ये खौफनाफ मंज़र और दहशत-ए-तन्हाई
ये बेदिली और अजनबी माहौल,
जज़्बात-ए-इंसा हुए बेमोल,
इस माहौल से शिकायत मुझे भी है
बेबसी का पतझड़ और आंसुओं का सावन,
ये लाचार-बेआस-बेबस निगाहें,
बेआब मछली-सी तड़प और दर्दनाक आहें
इस दर्द की नाइत्तेफ़ाक़ी से,
शिकायत मुझे भी है
हालात हमारे एक से पर चेहरे एक-दूजे के तकते
राह नहीं मालूम, सहारा एक-दूसरे का खोजते
कभी मैं निराश तो कभी वह आस छोड़ता
इस आशा निराशा के खेल से
शिकायत मुझे भी है
ये नौजवानों की भटकन, ये मासूमों की धड़कन
ये बर्बाद जवानी, ये बेसहारा बुढ़ापा
वो उम्मीद की किरण, ये झूठे वादों का जाल
इस जालसाज़ी, फरेब से,
धर्म के आक़ाओं से,
देश के रहनुमाओं से,
शिकायत मुझे भी है
आप से,
उन से,
खुद से
bahat badhiya
ReplyDeleteThank you
DeleteOne of the best composition��������
DeleteThis comment has been removed by the author.
DeleteBahut khoob Asif bhai....
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