वो आती है
हम घबरा जाते हैं
क्योंकि
नाउम्मीदी के पर्दों से
झाँकती है वो
और
हम सोचते हैं
कसमसाते हैं
पछताते है कि
तैयारी क्यों नही की
बैकअप प्लान क्यों नही बनाया
काश ऐसा करते,
काश ऐसा होता,
काश ऐसा हो जाये
इस बार यह टल जाए
फिर ऐसी गलती नहीं होगी
पूरी तरह तैयार रहेंगे
पहले से सोच कर चलेंगे
कुछ तो हल निकले
और वो टल गई
घबराहट चली गयी
हम फिर मस्त हो गए
हर्षोल्लास और उत्सव
सोचा कि अब सब
ठीक है
अब कुछ नहीं होगा
निर्धारित डगों पर
चलती रहेगी ज़िन्दगी
योजनाएं क्या होती है
भूल गए
बुरा क्या होता है
याद नहीं रहा
उम्मीदों भरा जीवन जीते हैं
फिर एक दिन अचानक से
दबे पाँव, बिन आवाज़ के
घात लगाए
हमारी लापरवाही
का फायदा उठाकर
दरवाज़े पर दस्तक करती है
हमनें खुशी से चहकते हुए पूछा
कौन
आवाज़ आयी
वही
जिसे तुम भूल बैठे थे
तुम्हारी अपनी
हम घबरा जाते हैं
क्योंकि
नाउम्मीदी के पर्दों से
झाँकती है वो
और
हम सोचते हैं
कसमसाते हैं
पछताते है कि
तैयारी क्यों नही की
बैकअप प्लान क्यों नही बनाया
काश ऐसा करते,
काश ऐसा होता,
काश ऐसा हो जाये
इस बार यह टल जाए
फिर ऐसी गलती नहीं होगी
पूरी तरह तैयार रहेंगे
पहले से सोच कर चलेंगे
कुछ तो हल निकले
और वो टल गई
घबराहट चली गयी
हम फिर मस्त हो गए
हर्षोल्लास और उत्सव
सोचा कि अब सब
ठीक है
अब कुछ नहीं होगा
निर्धारित डगों पर
चलती रहेगी ज़िन्दगी
योजनाएं क्या होती है
भूल गए
बुरा क्या होता है
याद नहीं रहा
उम्मीदों भरा जीवन जीते हैं
फिर एक दिन अचानक से
दबे पाँव, बिन आवाज़ के
घात लगाए
हमारी लापरवाही
का फायदा उठाकर
दरवाज़े पर दस्तक करती है
हमनें खुशी से चहकते हुए पूछा
कौन
आवाज़ आयी
वही
जिसे तुम भूल बैठे थे
तुम्हारी अपनी
मुसीबत
Seems like u r inspired by our semester exam 😂😂😂
ReplyDeletegood explanation of problem.
ReplyDeleteBahut khoob bhai..
ReplyDeleteNicely written.
ReplyDeleteBahut badhiya bhai jaan
ReplyDeletesach h
ReplyDeleteVery Realistic psychological expression of how we deal with Problems.
ReplyDeleteBahut khoob
ReplyDeleteबहुत अच्छे आसिफ भाई
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