इस्राईली प्रधानमंत्री नेतन्याहू की भारत यात्रा का विरोध

भारत की छह कम्युनिस्ट पार्टियों का प्रदर्शन

15 जनवरी 2018, सोमवार
नई दिल्ली

इस्राइली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू की भारत यात्रा का देश की छः कम्युनिस्ट पार्टियों ने जमकर विरोध किया। एस यू सी आई (कम्युनिस्ट), भाकपा, भाकपा (माले), माकपा, कम्युनिस्ट गदर पार्टी ऑफ इंडिया , आर. एस. पी. सहित ऑल इण्डिया पैलेस्टाइन सोलिडेरिटी आर्गेनाईजेशन ने इंडिया गेट के पास दिल्ली के शाहजहां रोड पर "नेतन्याहू वापस जाओ" के नारे लगाकर प्रदर्शनकारियों ने अपना विरोध व्यक्त किया। 

वक्ताओं ने इज़राइली प्रधानमंत्री के भारत आगमन के विरोध का कारण स्पष्ट करते हुए बताया कि किस तरह से इज़राइल लगातार फिलिस्तीनी ज़मीनों पर कब्ज़ा जमा रहा है और फिलिस्तीनी जनता पर  अत्याचार कर रहा है। माकपा के पोलित ब्यूरो सदस्य प्रकाश करात ने कहा कि भारत के साथ होने वाली सामरिक संधि से कमाए हुए पैसों का इस्तेमाल इज़राइल फिलिस्तीनी धरती का अतिक्रमण करने के लिए करेगा।

"हमने अभी तक करोड़ों रुपयों के हथियार इज़राइल से खरीदे हैं। इसी पैसे को इस्तेमाल करके इज़राइल सरकार फिलिस्तीनी जमीनों पर अपना कब्जा जमाए हुई है। इसलिए हम मांग करते हैं कि भारत सरकार इज़राइल सरकार के साथ किसी भी प्रकार का सैन्य और सुरक्षा का रिश्ता कायम न रखे। हमें उनसे हथियार नहीं खरीदने चाहिए।", प्रकाश करात ने कहा।
गांधी जी के हवाले से उन्होंने आगे कहा, "गांधी जी
शाहजहां रोड पर विरोध प्रदर्शन करते कम्युनिस्ट पार्टियों के नेता एवं कार्यकर्ता
ने कहा था कि फिलिस्तीनी जनता के  अधिकारों को छीन कर, उनको ग़ुलाम बनाकर इज़राइल कायम किया गया है।"

भाकपा के राष्ट्रीय सचिव डी. राजा  ने अपने भाषण में इज़राइल की नीतियों का विरोध करते हुए कहा कि वे इज़राइल की सम्राज्यवादी नीतियों का विरोध करते हैं। उन्होंने कहा, "इज़राइल संयुक्त राष्ट्र संघ की शांति संधि की पेशकश को स्वीकार करने से लगातार  इनकार कर रहा है। संयुक्त राष्ट्र संघ ने दो-राष्ट्र नामक समाधान पेश किया है। जहाँ फिलिस्तीन और इज़राल दोनों का सह अस्तित्व होगा। इज़राल भी रहेगा और फिलिस्तीन भी रहेगा। परंतु इज़राइल इसे स्वीकार नही करता है।  हम इज़राइल की नीतियों का विरोध कर रहे हैं। इज़राइल लगातार फिलिस्तीनी धरती पर अनाधिकृत रूप से कब्ज़ा करता जा रहा है। इज़राइल लगातार फिलिस्तीनी जनता के खिलाफ युद्ध छेड़ता जा रहा है। फिलिस्तीनी जनता आज़ादी और एक आज़ाद मुल्क की स्थापना के लिए संघर्ष कर रही है। भारत एकमात्र पहला गैर-अरबी मुल्क है जिसने फिलिस्तीन को एक स्वतंत्र देश की मान्यता दी है।"

इज़राइल-फिलिस्तीनी संकट पर अपनी बात रखते हुए एस.यू.सी.आई.(कम्युनिस्ट) के केन्द्रीय कमेटी सदस्य सत्यवान ने फिलिस्तीनी जनता का समर्थन किया और अमेरिका के येरूसलम को इज़राइल की राजधानी घोषित करने के फैसले का विरोध किया। उन्होंने कहा, "हम फिलिस्तीनी जनता के संघर्ष को जायज़ मानते हैं। हाल ही में अमेरिका के द्वारा येरूसलम को इज़राइल की राजधानी घोषित करना अन्यायपूर्ण है तथा अंतर्राष्ट्रीय कानूनों के खिलाफ भी है।" उन्होंने आगे कहा, "भारत की परंपरा साम्राज्यवाद के खिलाफ रही है। भारत की जनता साम्राज्यवाद के खिलाफ लड़ी है। भारत ने अपनी आजादी खुद लड़कर हासिल की है। भारत दुनिया भर में शांति का पक्षधर रहा है। लेकिन मोदी जी भारत के प्रधानमंत्री रहते हुए भारत की जनता का प्रतिनिधित्व नही कर रहे हैं बल्कि उंगलियों पर गिने जाने लायक कुछ बड़े पूंजीपतियों का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं।"

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