धरती पर स्वर्ग इक ऐसा होगा
न कोई राजा न कोई रंक होगा
न कोई राजा न कोई रंक होगा
मानुष हों जहां भोले भाले
धन संचय को बैर न पालें
धन संचय को बैर न पालें
नीलाम जब न ज़िन्दगियाँ होंगी
न मंडी में खड़ी जवानी होगी
न मंडी में खड़ी जवानी होगी
न दबेंगी सिसकियाँ खिलौनों की चाह में
सिक्कों की मोहताज न खुशियां होंगी
सिक्कों की मोहताज न खुशियां होंगी
भूख से बच्चा न कोई रोता होगा
भीख के लिए न कोई बूढ़ा होगा
भीख के लिए न कोई बूढ़ा होगा
न होगी कोई खाई यहाँ जब
सबका सब कुछ अपना होगा
सबका सब कुछ अपना होगा
संसार नया जब गढ़ना होगा
सबको आगे बढ़ना होगा
सबको आगे बढ़ना होगा
Very nice bhaiya app Kamal ke likhate
ReplyDeleteWow...Great.
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