बह जाना चाहते हो,
तो बह जाओ
पर ख्याल रहे
धारा के साथ बहने वाले
तुम अकेले न होओगे
असंख्य होंगे
जो दिन रात
मशीन के पुर्जे की तरह
खटते-खपते
जीवन शेष होने से पहले
खुद शेष हो जाएंगे
सचेत नहीं रहे तो
असंख्य होंगे
जो दिन रात
मशीन के पुर्जे की तरह
खटते-खपते
जीवन शेष होने से पहले
खुद शेष हो जाएंगे
सचेत नहीं रहे तो
संभव है तुम भी
भीड़ का हिस्सा बन जाओ
भेड़ों में एक और गिनती बन जाओ
अपनी विलक्षणता और सक्षमता
के बावजूद तुम कहीं खो जाओ
और फिर आगे-पीछे-मध्य
का भेद गौण हो जाये
संघर्ष थम जाए
संघर्ष थम जाए
फिर कैसे सृजन करोगे
धारा के विपरीत न बहोगे
तो
संघर्ष कैसे करोगे
क्योंकि
संघर्ष नहीं तो
सृजन भी नहीं
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