12 अक्टूबर 2017
Mohd. Aasif, जा. मि. इ.
Mohd. Aasif, जा. मि. इ.
जामिया मिल्लिया इस्लामिया के गुलिस्ताने ग़ालिब में दिनांक 12 अक्टूबर को शाम 4 बजे से दीपावली के अवसर पर ग़ैर राजनैतिक संगठन युवा ने दीप प्रज्वलन का कार्यक्रम लेकर दीपावली समारोह का आयोजन किया। जामिया में पहली बार दीपावली के समारोह का आयोजन हुआ है। दीपावली के इस अवसर पर 'युवा' की कन्वेनर आकांक्षा राय कहती हैं, "दीपावली भारत का सबसे बड़ा त्योहार है। दीपावली दीयों का त्यौहार है इसलिए हमने दीप जलाकर दीपावली मनाने का फैसला लिया है।"
कार्यक्रम की कुछ झलकियाँ |
दीपावली के मौके पर पटाखे की बिक्री और पटाखे चलाने पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत करते हुए आकांक्षा ने कहा, "युवा सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत करता है और जो लोग इस फैसले को किसी धर्म विशेष पर हमले के रूप में देखते हैं उन्हें जजमेन्ट को पूरी तरह से पढ़ना चाहिए। साथ ही उन्हें समझना चाहिए कि प्रदूषण से सभी को नुकसान पहुंचता है।" पटाखे जलाने के परिणामों पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने कहा, "पिछले साल दीपावली के तुरंत बाद स्कूलों को कुछ दिनों के लिए बंद करना पड़ा था। प्रदूषण की समस्या को युवा पिढ़ी को ही बेहतर ढंग से समझना होगा और इसके निवारण पर काम करना होगा।" दीपावली के अवसर पर युवा का संदेश है कि त्यौहार को मिट्टी के दिए जलाकर ही मनाएं।
"दीया प्रकाश का प्रतीक होता है और प्रकाश सबके लिए होता है। प्रकाश धर्म नहीं देखता वो सबको रौशनी देता है और दीपावली रोशनी का त्यौहार है इसलिए इस दिन पटाख़े न चलायें। प्लास्टिक की लड़ियों की जगह मिट्टी के दीयों से अपने घरों को रोशन करें।", आकांक्षा ने अपील की। गौरतलब हो कि 10 अक्टूबर को जामिया में दीपावली के अवसर पर रंगोली बनाओ प्रतियोगिता का आयोजन किया गया था। कार्यक्रम के अंत में रंगोली प्रतियोगिता में विजयी टीमों के सदस्यों को पुरस्कृत किया गया।
छात्र-छात्राओं ने एक-दूसरे को दीपावली की बधाई दी। सोशियोलॉजी, हिंदी, इंग्लिश, लॉ, इतिहास आदि विभागों में दीपक प्रज्वलित करके जामिया को रोशन किया। मिठाई का भी वितरण किया गया। कार्यक्रम की शुरुवात में एक सभा का आयोजन किया गया जिसमें धार्मिक सौहार्द पर चर्चा की गई। कार्यक्रम का संचालन संगठन के सदस्य जतिन जैन ने किया। कार्यक्रम में विभिन्न विभागों के छात्रों ने भाग लिया। इस मौके पर सोशियोलॉजी विभाग के तालिब अख्तर ने फ़िराक गोरखपुरी की 'नयी हुई रस्म पुरानी दिवाली के दीप जले' शीर्षक से ग़ज़ल कही।
Photo Credit: Shishir Agrawal, Mass Media Hindi, JMI
Photo Credit: Shishir Agrawal, Mass Media Hindi, JMI
यही भारतीय परंपरा है कि इतनी विविधताओं में बसे इतने विभिन्न रंगों को भारत ने समाहित किया हुआ है। यही हमारी संस्कृति है कि दीवाली का जश्न नज़मा साड़ी पहन के मनाए और ईद का केशव कुर्ता पयजामा। जय हिंद।
ReplyDelete