बंद कमरा

बंद कमरा

मकान के एक बंद कमरे को,
न करने से लगातार साफ,
पड़ जाते हैं उसमें जाले,
छत के कोनों, नल के नीचे और टाँड पर,
जम जाती है अनचाही धूल
फर्श, बिस्तर और किताबों पर,
बस जाती है सड़ांध
कपड़ों, अखबारों और दिवारों में,
घुस जाती है सीलन
कुर्सी, मेज और अलमारी में,
लग जाती है दीमक,
खिड़की, दरवाजों और चौखट में,
करने लगते हैं राज,
सरिसर्प, कीट और कृंतक
छा जाती है मनहूसियत
गुम जाती है इंसानियत
यही हाल होता है,
जब
कुंद पड़ जाता है
एक हिस्सा जीते जागते मनुष्य का
मस्तिष्क का
-मोहम्मद आसिफ