जिसकी जो जगह उसको वहीं पे रहने दो
आग को चूल्हों और चिराग़ों में ही रहने दो
रोटियाँ सेंकने को तो तंदूर बहुत हैं
घोंसलों को टहनियों ही पे रहने दो
होती है ख़ाक हर शय जब जलती है
ठंडा है आहन इसे ठंडा ही रहने दो
ताड़ तिल का बनाना तो बड़ी बात नहीं
किस्सा न बनाओ इसे मामूली ही रहने दो
भूल चुका हूँ जिसे न दोहराओ वो बात
मोहरा न बनाओ मुझे इंसां ही रहने दो
Bahut badhiya
ReplyDeleteWah kya baat hai Asif bhai..
ReplyDeletewah wah!!!!!!
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