धरती पर स्वर्ग इक ऐसा होगा
न कोई राजा न कोई रंक होगा
न कोई राजा न कोई रंक होगा
मानुष हों जहां भोले भाले
धन संचय को बैर न पालें
धन संचय को बैर न पालें
नीलाम जब न ज़िन्दगियाँ होंगी
न मंडी में खड़ी जवानी होगी
न मंडी में खड़ी जवानी होगी
न दबेंगी सिसकियाँ खिलौनों की चाह में
सिक्कों की मोहताज न खुशियां होंगी
सिक्कों की मोहताज न खुशियां होंगी
भूख से बच्चा न कोई रोता होगा
भीख के लिए न कोई बूढ़ा होगा
भीख के लिए न कोई बूढ़ा होगा
न होगी कोई खाई यहाँ जब
सबका सब कुछ अपना होगा
सबका सब कुछ अपना होगा
संसार नया जब गढ़ना होगा
सबको आगे बढ़ना होगा
सबको आगे बढ़ना होगा